‘आखिर तुम घर में बैठ कर करती क्या हों ?’ ये कोमन लाईन हर सामान्य घरो में हमने सूनी होगी । जो महिला घर का सिर्फ काम करती हों भले ही बख़ूबी से घर को मेनेज करके रखती हों एवं बहुत सारी औरते घर का काम भी करती हैं, जॉब भी संभालती हैं फीर भी बहोत ऐसे ताने भी सुनने को मिलते हैं ।
सामने सफाई देना या झगड़ा करने से कुछ होगा नहीं सिर्फ हर्ट खुदको ही होगा, इसका मतलब यह है कि घर के कामो को कितना भी करो कोई एवोर्ड तो मिलेगा ही नहीं ( हाँ घर के कामो को क्रिएटिव या स्किल में बदल सकते हो लेकिन उसके बारे में कोई नेक्स्ट आर्टिकल में बताउंगी) । टोन सुन कर हर्ट होने से अच्छा हैं की हम भी दुनिया के लिए और खुदके लिए भी एक inspirational story बने ।
तो, इसका सोल्यूशन एक ही है की ये सब बातो में उलझनें के बजाय अपनी स्किल, लक्ष्य पर ध्यान देना और आर्थिक तरीको से अपने पैरो पर खड़ा होना । सही दिशा में बढ़ के पैसे कमाना । बहोत सारी महिलाओं का शादी के बाद कहेना हैं कि हमे तो जॉब करने की परमिशन नहीं मिलती ।
जहाँ तक आप खुद पर विश्वास करके कोई अच्छे काम की शुरुआत ही नहीं करोंगे तब तक कुछ नहीं होगा । यकीन मानो एक बार सफलता हासिल करने के बाद जो शुरू में हमे सपोर्ट नहीं करते या हमारे खिलाफ होते हैं बादमे वही व्यक्ति या लोग हमे सहायता भी करेगे और हमारी ख़ुशी में शामिल भी होंगे । और वही लोग दुनिया के सामने आपकी inspirational story दुसरे लोगो तक भी पहोंचायेगे ।
मैंने यहाँ दो रियल स्टोरी बताने की कोशिश की हैं । एक सामान्य सोच की और बड़ी सोच की inspirational story , आप खुद फैंसला करना की आपको कहाँ जाना हैं ।
ट्रेन के सफर दोरान महिला डिब्बे में मेरी मुलाकात ४७ वर्षीय अंजली से हुवी । उन्होंने अपनी लाईफ़ के बारे में बाते शेअर की । कैसी उसकी मेरेज लाईफ थी । वो बता रही थी कि मेरेज के स्टार्टिंग पॉइंट से लेकर बच्चे हुवे, बच्चे बड़े हुवे तब तक उसके साथ जो ससुराल में टोर्चेर हो रहा था वही समजने में वक्त लग गया कि इसको टोर्चेर बोलते है ।
उनकी शादी २७ साल में हुवी थी वो पढ़ी लिखी एवं जॉब भी करती थी, वह खुद अपना कमाती थी । लेकिन शादी के बाद उन्होंने जॉब छोड़ दिया बिकोज़ ससुराल में जॉब करना पसंद नहीं था । सबकुछ करने के बाद भी यही सुनना पड़ता था कि आखिर तुम घर में बैठ कर करती क्या हो ? उन्होंने बताया की मेरी तो २७ साल में शादी हुवी थी और ये कोई छोटी उम्र भी नहीं थी फिर भी में कितनी बुद्धू थी कि मेरे साथ जो हो रहा था वो समज नहीं पाई ।
बादमे जब समज में आया तब वो सास ससुर को छोड़ कर सामने ही घर ले कर अपने पति के साथ अलग रहने चली गई । उनका कहना था कि सास ससुर भी अब बूढ़े हो चुके थे और उनकी सेवा के लिए में ही काम आनेवाली थी । ये सारी बाते भी समजाई गई लेकिन एक दिन ठीक रहते थे बादमे वही सब टोन टोर्चेर बिहेव रहता था ।

उनका कहना था अपने पति को कि, “ ये शादी और घर संभालने के लिये मैंने खुदका घर छोड़ा, अच्छी खासी जॉब छोड़ी, खुदके सपने तोड़े और यहाँ आ कर एडजस्ट भी किया और पढ़ी लिखी होने के बाद भी सब सहेती रही अब जिंदगीभर के लिए तुम ही मुझे खिलाओ ।”
कहने का मतलब ये है की अंजली जैसी कितनी ऐसी महिलाए होगी जो ऐसी जिंदगी को जी रही हैं क्यूंकि शादी के बंधन में बंध चुकी हैं ।
हेय्य मेरी प्यारी विमेंस, आर्थिक रूप से स्वत्रंत तो हर एक महिला को होना ही हैं । जैसे हम महिला शादी को एडजस्ट करके बचा कर रखती हैं वैसे ही जॉब को भी एडजस्ट करके बचा कर रखना हैं । जॉब को छोड़ना नहीं हैं क्यूंकि विमेंस की ज़िग्ज़ेग लाईफ हैं । चढ़ाव उतार तो होना ही हैं ।
मान लो जो खिलाने वाला ही ना रहे उनको कुछ हो जाये तो ऐसे में अचानक से कहाँ जाएगे ? और साथ में बच्चे की भी जिम्मेदारी रहेगी ऐसे हालातों से कैसे तुरंत निपटोगे ? क्यूंकि पैसे की जरुरत हर समय लगती हैं । आज के ज़माने में आत्मसम्मान घर के कामो से नहीं मिलेगा बल्क़ि हम कितने आत्मनिर्भर हैं शारीरिक और आर्थिक रूप से उनको ही मिलता हैं ।
इसलिए कमाना हर एक औरत को हैं । एक बार खुदसे कमा कर देख लो , चहेरे पर जो आत्मविश्वास नजर आएगा वही आपको आत्मसंतुष्टि हर समय देता रहेंगा । बड़ा लक्ष्य हासिल करोंगे तो आप भी inspirational story बन सकते हों ।
inspirational story of kalpna saroj | कल्पना सरोज की प्रेरणादायक कहानी :
कल्पना सरोज का जन्म 1961 में एक गरीब परिवार में महाराष्ट्र के अकोला जिले के रोपरखेड़ा गाव में हुआ । उनको एजुकेशन नहीं मिला वह पढ़ने में हुशार विद्यार्थिनी थी बावजूद भी उनकी शादी बचपन में ही बारह साल में कर दी गई थी ये सोच से की लड़की पढ़ लिख कर आखिरकार चुलाचोकी ही तो करेगी । शादी के बाद ससुराल में खाने में नमक ज्यादा हो जाने पर गाली गलोच से लेकर मारपीट भी होती थी । किसी तरह से छह महीने निकाले बादमे वह अपने पिताजी के साथ घर चली आई ।
लेकिन पता हैं न ज़माना चाहे कितना भी आगे चला जाये आज भी हमारे समाज मे चाहे ससुराल में घरेलु हिंसा सह के अपने माँ बाप के पास चली आये या कुछ और कारण से, लेकिन यह समाज ऐसी लड़कियों को जल्दी से एक्स्सेप्ट नहीं करता ऊपर से उनका देखने का नजरिया भी अलग हो जाता हैं । वही हाल कल्पना सरोज जी का हुवा । लोग उन्हें और उनके माँ बाप को ताने मारने लगे और कोसने लगे । लेकिन लोगो को क्या पता की यही लड़की एक दिन समाज एवं महिलाओं के लिए inspirational story बनेगी ।
यही हालातों में कल्पना सरोज जी के पिताने पढ़ाई जारी रखने के लिया कहाँ लेकिन कल्पना सरोज को लगने लगा की उनकी जिंदगी तो बोज हो गई थी, ना पढ़ाई रही ना शादी बची ऐसे में खुदने फ़ैसला लिया की वो मर जाये ! एक दिन कल्पना ने जहर पी कर आत्महत्या करने की कोशिश की । लेकिन बहुत कोशिशो के बाद कल्पना सरोज जी बच गए ।
होस्पिटल में मिलने वाले लोगो ने एक ही बात कही, “तुम मर गई होती तो क्या होता? लोग तो ऐसे ही कहेते ना जरुर महादेव की लड़की ने ऐसा कुछ काम किया होगा जिसकी वजह से ये मर गई ” कल्पना सरोज जी के पिताजी एक पोलिस हवलदार थे । यही बाते कल्पना सरोज जी के दिल की गहराई तक पहोंच गई कि जियेंगे या मरेंगे फीर भी लोगो को लगाव या हालातो के साथ कुछ लेना देना नहीं हैं । तभी कल्पना सरोज जी ने एक बड़ी सोच से फैंसला लिया कि , “कुछ कर के मरना हैं तो कुछ कर के जीना क्यूँ नहीं ?”

उन्होंने जीने का फैंसला लिया । अपने बल बूते पर कमा कर आगे बढ़ने का निश्चय किया । पुलिस हवलदार की बेटी होने के नाते उन्होंने पुलिस बन्ने का भी सोचा लेकिन पढ़ाई एवं उम्र कम होने के नाते वहा भी कुछ नहीं हुवा । आर्मी ज्वाइन करने का भी निश्चय किया लेकिन वहा भी कुछ नहीं हुवा । उन्होंने फैसला लिया की वह मुंबई जा कर कुछ करेंगे क्यूंकि गाव में रह कर उनको खेती करना नहीं था ।
मुंबई में आने के बाद २ रुपये प्रतिदिन से कमाने की शुरुआत की थी लेकिन यहीं कुछ दो तीन वर्ष में उनकी बहेन का बीमारी का इलाज पैसे ना होने के कारण नहीं हो पाया और मृत्यु हो गई । उसी दिन से कल्पनाजी को पैसे की एहमियत के बारे में पता चला । उन्होंने लोन लेकर अलग अलग प्रकार के बिजनेस भी शुरू किये जैसे की सिलाई का काम ,बुटिक खोलना, फर्नीचर बिजनेस इत्यादि । कल्पना सरोज जी ने हार नहीं मानी वह आगे बढ़ते गये ।

महेनत और संघर्षों से कल्पना सरोज जी ने ‘कमानी ट्यूब्स’ नामकी कंपनी को खड़ी कर दी जो 17 सालों से बंद पड़ी थी । कल्पना सरोज जी को समाजसेवा और उद्यमिता के लिए पद्म श्री और राजीव गांधी रत्न के अलावा देश-विदेश में दर्जनों अवॉर्ड्स मिल चुके हैं।
कल्पना सरोज जी ने शुरुआत २ रुपये से ही की थी लेकिन आज २ हजार करोड़ की मालकिन हैं । तो यह थी inspirational story कल्पना सरोज जी की ।
महिलाओं के जीवन में संघर्ष तो हैं ही लेकिन यही संघर्षो का सामना कर के हमे अपने सपनों को पूरा करना हैं । सपने को साकार करना हैं ।
आखिर तुम घर में बैठ कर करती क्या हों ?- ये ताने पर ध्यान मत दो और अपने सपने को साकार करने पर ध्यान दो, समाज एवं महिलाओं के लिए आप भी inspirational story बनिए ।
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लक्ष्य बनाओ : जीवन में क्याँ करना हैं, अपने लक्ष्य को कैसे हाँसिल करना हैं उनके बारे में स्पष्टता रखो ।
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स्वाभिमानी बनो : जॉब या खुदका बिजनेस शुरू करके खुद जब कमायेंगे तब आत्मविश्वास भी बढ़ेगा ।
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खुदकी पहचान : करियर बनाने से सिर्फ पैसा ही नहीं आता हैं बल्कि एक पहचान भी मिलती है जब वह सही दिशा में हो ।
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समाज का बदलाव : सभी महिलाएं जब अपने करियर के बारे में सोचेगी तब समाज में भी एक बदलाव आयेगा । समाज के लिए inspirational story बनिए ।
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परिवार में ख़ुशी : ज्यादातर घरो में पैसे की तंगी के वजह से झगड़े बढ़ते रहते हैं लेकिन महिलाएं भी कमाने लगेगी तो घर की आर्थिक स्थिति भी मजबूत बनेगी और परिवार खुश भी रहेगा ।
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बड़ा काम : बड़ी सोच रखेगे तभी तो कोई बड़ा काम होगा ।
मैंने एक ख़िताब पढ़ी थी “बेबीलोन का सबसे अमीर आदमी” उसमे लिखा था कि, “अपनी आमदनी का दसवाँ हिस्सा खुद के लिए बचाकर अलग रखे ।”
(Note : मेरी प्यारी महिलाएं, बहेने आपकी भी inspirational story रहेगी तो हमे contact@womenszigzaglife.com पर मेल कर सकते हो ताकि आपकी स्टोरी हम “विमेंस ज़िग्जेग लाईफ -बड़ी सोच ” ब्लॉग के द्वारा महिलाओं तक पहोंचा सके और हरेक महिला को प्रेरणादायक स्टोरी पढ़ कर आगे बढ़ने का रास्ता मिले, धन्यवाद । )